आप सभी जानते हैं कि तमिल या साउथ इंडियन मूवी का सुपर स्टार Mahesh Babu New movie महेश बाबू का जब भी कोई नया फिल्म रीलिज होते हैं तो। पूरे सिनेमा घर साथ ही बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर धमाल मचा कर रख देते हैं, लेकिन बीते कुछ सालों में अभी तक महेश बाबू का कोई फिल्म सिनेमा घर में देखने को नहीं मिला लेकिन 2024 ने एक फिल्म सिनेमा घर में रीलिज हुईं जिसका नाम है गुंटूर कारम सिनेमा घर में रीलिज हो चुकी है जैसे ही फिल्म रीलिज हुईं उसी दिन से महेश बाबू का क्रेज बढ़ गया और पहला ही दिन बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर धमाल मचा कर रख दिया इस फिल्म को रीलिज होने के बाद फैंस के बिच महेश बाबू और चर्चे में आने लगे हैं।
जिस दिन यह फिल्म गुंटूर कारम सिनेमा घर में लगा उस दिन दर्शकों का भीर बहुत ज्यादा मात्रा में देखने को मिला था लेकिन इस फिल्म देखने के बाद दर्शकों के उत्साह कम दिख रही है, यह फिल्म तो बहुत ही अच्छा इस फिल्म का लुक भी काफ़ी बढ़िया है, पोस्टर में में और ट्रेलर में तो बहुत ही अच्छा देखने में लग रहा था। लेकिन यह फिल्म पहला ही दिन ओपनिग में ही काफ़ी तगड़ा कमाई की है
Mahesh Babu साल 2022
इस लेख मे आपको सभी जानकारी मिलने वाले है।
2022 में एक नाया मूवी आया था, सराकारू वारी पाटा आया था, इस फिल्म को सिनेमा घर में रीलिज होते ही अपने दर्शकों के बिच इतनी क्रेज बढ़ा लिया और इस फिल्म को इतना पसन्द किया, और यह फिल्म काफ़ी तगड़ा बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया और इस फिल्म का स्टोरी इतनी अच्छी थी , इस फिल्म का डायरेक्टर , त्रिविक्रम श्रीनिवास के साथ महेश बाबू ने 14 साल काम किया है , साल 2010 में भी महेश बाबू का एक फिल्म सिनेमा घर में आया था, खलेजा में भी महेश बाबू ने बहुत अच्छे से काम किया था, इस फिल्म भी द्रशोकों को बहुत पसंद आए थे, इस फिल्म भी डॉयरेक्टर त्रिविक्रम श्रीनिवास के महेश बाबू ने काम किया था। यह दोनो फिल्म का जो कहनी और स्क्रिप्ट था जो दर्शकों को बहुत ही पसंद किया गया है लेकिन , वैसी स्टोरी और कहानी इस गुंटूर कारम में देखने को नहीं मिला है,
Mahesh Babu New movie Guntur karam
फिल्म ‘गुंटूर कारम’ की शुरुआत फ्लैशबैक से होती है। वीरा वेंकट रमन के पिता सत्यम को एक हत्या के आरोप में जेल हो जाती है और उसकी मां वसुंधरा उसे छोड़कर हैदराबाद आ जाती है। वीरा वेंकट रमन का बचपन अपने पैतृक गांव में बीतता है और वह बड़ा होकर मिर्च के कारोबार में शामिल हो चुका है। इधर हैदराबाद आने के बाद वसुंधरा अपने पिता वेंकट स्वामी की सलाह पर राजनीति में प्रवेश करती है और कानून मंत्री बन जाती है। सत्यम अपनी सजा काट चुका है, जेल से बाहर आने के बाद वह किसी से भी मिलना पसंद नहीं करता। वसुंधरा का परिवार एक समझौते पर वीरा वेंकट रमन का हस्ताक्षर चाहता है, जिससे उसकी मां के साथ सभी संबंध खत्म हो जाते हैं। इस कदम का उद्देश्य उनसे कानूनी उत्तराधिकारी का दर्जा छीनना है, जिससे वसुंधरा की दूसरी शादी से हुए बेटे को राजनीतिक विरासत में मिल सके।
Guntur karam film निर्देशक्क
फिल्म के निर्देशक त्रिविक्रम श्रीनिवास ने ही फिल्म की कहानी भी लिखी है। फिल्म की कमजोर कथा और पटकथा ने पूरा खेल बिगाड़ दिया। मां बेटे के बीच जो भावनात्मक दृश्य होने चाहिए वह निखर कर नहीं आए। जिसकी वजह से दर्शको का इस फिल्म से भावनात्मक तौर पर जुड़ाव नहीं हो पाया। फिल्म देखने के बाद ऐसा लगता है कि महेश बाबू को खुश करने के चक्कर में त्रिविक्रम श्रीनिवास ने कहानी का पूरा फोकस उनके ही किरदार पर रखा, यह सबसे बड़ी निर्देशक की भूल नजर आती है। फिल्म की कहानी जैसे -जैसे आगे बढ़ती है, अपना असर खोने लगती है। साउथ की फिल्मों की खासियत यही होती है कि एक्शन दृश्यों पर खूब मेहनत करते हैं, अगर फिल्म की कथा और पटकथा पर भी उतनी ही मेहनत की गई होती तो यह एक बेहतर फिल्म बन सकती थी। विज्ञापन
Guntur karam में महेश बाबू ने किसकी भूमिका निभाती है
इस फिल्म में महेश बाबू ने वीरा वेंकट रमन की भूमिका निभाई है। फिल्म में उनका एक्शन अवतार तो ठीक है क्योंकि उसमें बॉडी डबल से काम चल जाता है। लेकिन जहां अभिनय की बात आती है, वहां महेश बाबू हर सीन में फेल हैं। फिल्म में श्रीलीला के साथ भी उनकी जुगलबंदी उभर कर नहीं आती है। श्रीलीला के लिए इस फिल्म में करने के लिए कुछ खास नहीं रहा। वेंकट रमन की मां वसुंधरा की भूमिका में राम्या कृष्णन अपने अभिनय से अच्छा प्रभाव छोड़ती हैं, लेकिन फिल्म में उनका परफॉर्मेंस देखकर लगता है कि अभी भी वह ‘बाहुबली’ की शिवगामी देवी की छवि से बाहर नहीं निकल पाई हैं।
वीरा वेंकट रमन के पिता सत्यम की भूमिका में जयराम, वेंकट स्वामी की भूमिका में प्रकाश राज, मार्क्स की भूमिका में जगपति बाबू, श्रीलीला के पिता पनी की भूमिका में मुरली शर्मा, मार्क्स के भाई लेनिन की भूमिका में सुनील का परफॉर्मेंस प्रभावशाली रहा है। इन दिग्गज सितारों से और भी बेहतर काम निकला जा सकता था, लेकिन फिल्म के लेखक-निर्देशक त्रिविक्रम श्रीनिवास की यहां भी बहुत बड़ी चूक नजर आती है। मनोज परमहंस की सिनेमैटोग्राफी संतोषजनक है। फिल्म के एडिटर नवीन नूली के पास अनावश्यक दृश्यों पर कैंची चलाने की पूरी आजादी थी, लेकिन इस मामले में वह भी चूक गए। थमन एस का संगीत शोर शराबे से भरा पड़ा है।
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